भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ:- भारत का इतिहास प्राचीन काल से ही गौरवपूर्ण एवं गरिमामयी रहा है। जहाँ हमारा देश दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का साक्षी रहा है वही औपनिवेशिक गुलामी से आजादी तक का सफर भी दुनिया को रोमांचित करने वाला है।
प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहे जाने वाला भारतवर्ष का इतिहास अपने अंदर आश्चर्यजनक रहस्य समेटे है जो की वास्तव में दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भारत के इतिहास की प्रमुख घटनाओं का दुनिया पर गहरा प्रभाव रहा है ऐसे में हमे भारत के इतिहास की सभी महत्वपूर्ण घटनाओ से अवगत होना आवश्यक है।
रतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ |
Important Events in Indian History
July 26, 2023 by Dhruv Gotra
भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ:- भारत का इतिहास प्राचीन काल से ही गौरवपूर्ण एवं गरिमामयी रहा है। जहाँ हमारा देश दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का साक्षी रहा है वही औपनिवेशिक गुलामी से आजादी तक का सफर भी दुनिया को रोमांचित करने वाला है।
प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहे जाने वाला भारतवर्ष का इतिहास अपने अंदर आश्चर्यजनक रहस्य समेटे है जो की वास्तव में दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भारत के इतिहास की प्रमुख घटनाओं का दुनिया पर गहरा प्रभाव रहा है ऐसे में हमे भारत के इतिहास की सभी महत्वपूर्ण घटनाओ से अवगत होना आवश्यक है।
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Top Important events in Indian history in hindi
भारत के विस्तृत इतिहास को कुछ ही शब्दो में कवर करना आसान नहीं है ऐसे में आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ (Top Important events in Indian history in hindi) के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है जिससे की देश के इतिहास के बारे में आपकी समझ मजबूत होगी।
Top Important events in Indian history in hindi आर्टिकल के माध्यम से इतिहास के जिज्ञासुओ को भारतीय इतिहास की गहरी समझ होगी साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने वाले कैंडिडेट भी इस आर्टिकल के माध्यम से हिस्ट्री सेक्शन को तैयार कर सकते है।
भारत के इतिहास की प्रमुख घटनाएँ
भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ से जुड़े इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारतीय इतिहास के सभी प्रमुख बिन्दुओ की जानकारी प्रदान की गयी है। विभिन वर्गों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हमने इस आर्टिकल को 3 भागो में विभाजित किया है जो की प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत एवं आधुनिक भारत में विभाजित है।
इस विभाजन का लाभ यह है की आप इतिहास के जिस भी भाग का अध्ययन करना चाहते है उससे जुड़ी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते है। साथ ही यहाँ से आप भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्यों को भी आसानी से जान सकते है। तो चलिए शुरू करते है प्राचीन भारत के इतिहास से
भारतीय इतिहास के प्रमुख घटनाक्रम, प्राचीन भारत
- घटना:- सिंधु घाटी सभ्यता का विकास काल
समयकाल- 2400-1750 ई.पू. (2400-1750 BC)
वर्णन- आद्यैतिहासिक काल से सम्बंधित सिंधु घाटी सभ्यता भारत के उत्तरी भाग में स्थित सभ्यता थी जिसका समयकाल 2400-1750 ई. तक था। हालांकि इस सभ्यता के समय काल को लेकर मतभेद है परन्तु अधिकतर विद्वान् और कार्बन C-14 पद्धति से सर्वाधिक मान्य काल 2400-1750 ई. माना गया है। यह सभ्यता सिंधु घाटी के क्षेत्र में स्थित थी जिसकी खोज राखल दास बनर्जी द्वारा 1921 में की गयी। दुनिया की प्राचीन सभ्यताओं में शामिल इस सभ्यता के सबसे बड़े नगर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो थे।
- घटना:- ऋग्वैदिक काल- भारत में आर्यों के निवास का काल
समयकाल- 1500-1000 ई.पू. (1500-1000 BC)
वर्णन – सिंधु घाटी के पतन के बाद भारत में ऋग्वैदिक काल शुरू हुआ। ऋग्वैदिक काल में भारत में आर्यों का आगमन हुआ। हालांकि आर्यों के निवास स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है। ऋग्वैदिक काल में भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथो की रचना हुयी जिनमे देश के चार प्रमुख वेद नामत – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद शामिल है। भारत में धार्मिक इतिहास के लेखन की दृष्टि से यह काल महत्वपूर्ण है चूँकि इस काल में ही देश में प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ लिखे गये थे। ऋग्वेद को पूरी दुनिया का सबसे प्राचीन एवं महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ माना जाता है जिसे की 10 मंडलो, 1028 सूक्तों में बॉंटा गया है। इस ग्रन्थ में 10,462 ऋचाएँ है जिसमे की गायत्री मन्त्र भी शामिल है।
- घटना:- उत्तर ऋग्वैदिक काल- ऋग्वेद के बाद का काल
समयकाल- 1000-600 ई.पू. (1000-600 BC)
वर्णन – 1000 ई.पू. में भारत में उत्तर ऋग्वैदिक काल शुरू हुआ। इस काल में समाज में स्त्रियों की दशा में पतन होना शुरू हो गया था फलस्वरूप समाज में बौद्ध और जैन धर्मों के आगमन के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ।
- घटना:- महाजनपदों के उदय
समयकाल- 600 ई.पू. (600 BC)
वर्णन – उत्तरवैदिक काल के पश्चात भारत में 600 ई.पू. में महाजनपदों के उदय हुआ। इस काल में भारतवर्ष 16 महाजनपदों में बँटा हुआ था। मगध इनमे सबसे प्रमुख जनपद था। इस काल में भारत में कुछ नवीन धर्मो का उदय भी हुआ जिनमे बौद्ध एवं जैन धर्म प्रमुख थे। उत्तर ऋग्वैदिक काल में उपजी कुरीतियों को दूर करने में इन धर्मो ने लोगो को अपनी ओर आकर्षित किया।
- घटना:- भगवान बुद्ध का जन्म
समयकाल- 563 ई.पू. (563 BC)
वर्णन – महाजनपद काल में 563 ई.पू. नेपाल में लुम्बिनी के निकट कपिलवस्तु में भगवान बुद्ध हुआ। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। ज्ञान प्राप्ति की तलाश में भगवान बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में घर का त्याग कर दिया था। इन्हे 6 वर्ष की कठिन तपस्या के पश्चात ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी। इनके द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया गया। गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई.पू. में कुशीनगर में हुयी। इन्हे बौद्ध धर्म का प्रणेता माना जाता है।
- घटना:- महावीर स्वामी का जन्म
समयकाल- 540 ई.पू. (540 BC)
वर्णन – महावीर स्वामी का जन्म 540 ई.पू. में कुण्डलग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम वर्द्धमान था। 30 वर्ष की अवस्था में इन्होने अपने बड़े भाई आज्ञा से गृह त्याग किया एवं ज्ञान प्राप्ति की खोज में निकल गए। जैन धर्म में महावीर स्वामी को 24वां तीर्थंकर माना जाता है। महावीर स्वामी की मृत्यु 468 ई.पू. में पावापुरी, राजगीर में हो गयी थी।
- घटना:- मगध का उदय
समयकाल- 544 ई.पू. (544 BC)
वर्णन – 544 ई.पू. में मगध की गद्दी पर वृहद्रथ ने शासन करना प्रारम्भ किया। इसके पश्चात 493 ई.पू. में वृहद्रथ की हत्या कर अजातशत्रु राजा बना जिसकी उसके पुत्र उदयिन ने 461 ई.पू. में हत्या करके मगध की गद्दी पर कब्ज़ा कर लिया। इसके पश्चात मगध की गद्दी पर क्रमश नागवंश का शासन रहा जिसका संस्थापक शिशुनाग था। नाग वंश का अंतिम शासक नंदिवर्मन था जिसके पश्चात मगध में नंद वंश का राज्य स्थापित हो गया। नन्द वंश का संस्थापक महापमानंद था।
- घटना:-भारत पर सिकंदर का आक्रमण
समयकाल- 325 ई.पू. (325 BC)
वर्णन – 325 ई.पू. में मेसीडोनिया के शासक सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया। यहाँ उसका सामना पंजाब के शासक पोरस से हुआ। सिकंदर की सेना से ब्यास नदी को पार करने से इंकार दिया।
- घटना:-भारत पर अन्य विदेश शासकों का आक्रमण
समयकाल- 200 ई.पू.-प्रथम शताब्दी (200 BC to first century)
वर्णन – सिकंदर के पश्चात भारत पर अन्य विदेशी शासको ने आक्रमण किया जिनका क्रम इस प्रकार से है :- हिन्द-यवन, शक, पह्लवी एवं कुषाण। हिन्द-यवन वर्तमान ग्रीस के शासक थे जिन्होंने भारत में प्रथम सदी के मध्य आक्रमण किया। इसके पश्चात शको ने भारत के विभिन भागो पर शासन किया। शको के पश्चात भारत पर पह्लवी शासकों ने भारत के विभिन भागो पर अपना साम्राज्य स्थापित किया। पह्लवी शासन के पश्चात देश में कुषाणों का शासन प्रारम्भ हो गया। कुषाणों का सबसे प्रमुख राजा कनिष्क था।
- घटना:- मौर्य साम्राज्य
समयकाल- 325 ई.पू. (325 BC)
वर्णन – 345 ई.पू. में भारत के महान शासकों में से एक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म हुआ। वर्ष 322 ई.पू. में नंद वंश के शासक घनानंद को हराकर चन्द्रगुप्त मौर्य मगध की गद्दी पर बैठे। चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चात इनके पुत्र बिंदुसार ने मगध की गद्दी संभाली। भारत के सबसे महान सम्राट की उपाधि से विभूषित सम्राट अशोक ने 269 ई.पू. में मगध की गद्दी को संभाला। वर्ष 261 में कलिंग पर आक्रमण के पश्चात अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया और उन्होंने जीवन भर अहिंसा के रास्ते पर चलने का प्रण लिया। इसके पश्चात अशोक ने अनेक लोक हितकारी कार्य किये।
- घटना:- गुप्त वंश
समयकाल- 280-543 ई.(280-543 AD)
वर्णन – 280 ई. में भारत में गुप्त वंश की नींव श्रीगुप्त द्वारा रखी गयी। भारत के सबसे प्रतापी राजाओं में गुप्त वंश के राजा शुमार है। इस वंश का सबसे प्रतापशाली राजा चद्रगुप्त-द्वितीय हुआ जो की 380 ई.पू. गद्दी पर बैठा। चद्रगुप्त-द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी। कालिदास, आर्यभट्ट एवं वराहमिहिर जैसे विद्वान् चद्रगुप्त-द्वितीय के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे इसी कारण से गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्णकाल कहा जाता है। गुप्त शासक समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है। समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण द्वारा प्रयाग-प्रशस्ति लिखी गयी थी। चद्रगुप्त-द्वितीय के पुत्र कुमारगुप्त प्रथम के द्वारा भारत के प्रथम विश्वविद्यालय नालंदा का निर्माण कराया गया था।
- घटना:- पुष्यभूति या वर्धन वंश
समयकाल- 6 ई.(6 AD)
वर्णन – 6 ई. में भारत में वर्धन वंश का शासन था जिसका सबसे प्रतापी राजा हर्षवर्धन था। हर्षवर्धन का शासन 606 ई. से प्रारम्भ हुआ था। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्धन के शासनकाल में ही भारत आया था जिसने की नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म सम्बंधित शिक्षा ग्रहण की थी।
भारतीय इतिहास के प्रमुख घटनाक्रम, मध्यकालीन भारत
- घटना:- भारत पर अरबों का आक्रमण
समयकाल- 712 ई.(712 AD)
वर्णन- 712 ई. में भारत पर अरबों द्वारा पहला आक्रमण किया गया जब 712 ई. में मुहम्मद बिन-कासिम के नेतृत्व में अरबों ने भारत के उतर-पश्चिमी सीमा प्रान्त सिंध पर कब्ज़ा कर लिया। इसके पश्चात भारत पर अन्य विदेशी शासकों ने आक्रमण किया जिनमे महमूद गजनी का नाम प्रमुख है। महमूद गजनी ने 998 में गजनी की गद्दी सँभालने के पश्चात 1000 ईसवी में भारत पर आक्रमण किया गया। महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था जिनमे सौराष्ट्र के सोमनाथ मंदिर को प्रमुखता से निशाना बनाया गया।
गजनी के पश्चात भारत पर मोहम्मद गौरी ने आक्रमण किया। इसके द्वारा सर्वप्रथम 1175 में मुल्तान में आक्रमण किया गया। मुहम्मद का सामना चौहान वंश के पृथ्वीराज चौहान तृतीया से हुआ था। मोहम्मद गौरी द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्धों का विवरण इस प्रकार से है :-
- मोहम्मद गौरी द्वारा लड़े गए प्रमुख
- तराइन का प्रथम युद्ध (1191)- पृथ्वीराज चौहान एवं मोहम्मद गौरी के मध्य (परिणाम-पृथ्वीराज चौहान विजयी)
- तराइन का प्रथम युद्ध (1191)- पृथ्वीराज चौहान एवं मोहम्मद गौरी के मध्य (परिणाम-मोहम्मद गौरी विजयी)
- चंदावर का युद्ध (1194)- मोहम्मद गौरी एवं जयचंद के मध्य (परिणाम-मोहम्मद गौरी विजयी)
- घटना:- भारत में सल्तनत काल
समयकाल- 1206-1526 ई.(1206-1526 AD)
भारत में सल्तनत काल की शुरुआत गुलाम वंश के शासन के साथ शुरू हुयी। इस वंश का संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक था जो की मोहम्मद गौरी का एक गुलाम था। गुलाम वंश के सभी शासकों का वर्णन इस प्रकार से है :-
- गुलाम वंश के शासक
- कुतुबद्दीन ऐबक
- आरामशाह
- इल्तुमिश
- रुकुनुद्दीन फिरोज
- रजिया सुल्तान
- बहरामशाह
- अलाउद्दीन मसूद
- नसरुद्दीन महम्मूद
- बलबन
गुलाम वंश के पश्चात सल्तनत काल के अंतर्गत खिलजी वंश की शुरुआत हुयी। खिलजी वंश का शासन काल 1290 से 1320 ई. तक था। खिलजी वंश के प्रमुख शासक इस प्रकार से है :-
- खिलजी वंश के प्रमुख शासक
- जलालुदीन फिरोज खिलजी (खिलजी वंश का संस्थापक)
- अलाउद्दीन खिलजी (खिलजी वंश का सबसे प्रमुख सुल्तान)
- कुतुबद्दीन मुबारक खिलजी (खिलजी वंश का अंतिम शासक)
खिलजी वंश के पश्चात दिल्ली की गद्दी पर तुगलक वंश शासन प्रारम्भ हुआ। तुगलक वंश का शासन काल 1320 से 1398 ई. तक था। तुगलक वंश के सभी प्रमुख शासको का क्रमवार विवरण इस प्रकार से है :-
- तुगलक वंश के शासक
- गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश का संस्थापक)
- मुहम्मद बिन तुगलक (तुगलक वंश का सनकी शासक)
- फिरोजशाह शाह तुगलक (तुगलक वंश का योग्य शासक)
- नसरुद्दीन महमूद तुगलक (तुगलक वंश का अंतिम शासक)
तुगलक वंश के अंतिम शासक के समय पश्चिमी एशिया के शासक तैमूर के द्वारा 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया गया। तैमूर के द्वारा भारत के विभिन भागो में अत्यधिक लूटपाट मचाई गयी एवं अनेक शासको को परास्त किया गया।
सल्तनत काल में तुगलक वंश के पश्चात भारत में सैय्यद वंश की शुरुआत हुयी। इस वंश को सल्तनतकाल में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। सैय्यद वंश के प्रमुख शासकों का विवरण इस प्रकार से है :-
- खिज्र खाँ
- मुबारक खाँ
सैय्यद वंश के पश्चात सल्तनत काल में लोदी वंश की स्थापना हुयी। लोदी वंश को सल्तनत काल का अंतिम वंश माना जा सकता है। इस वंश को स्थापित करने के श्रेय बहलोल लोदी को जाता है। लोदी वंश के प्रमुख शासकों का विवरण इस प्रकार से है:-
- लोदी वंश के प्रमुख शासक
- बहलोल लोदी
- सिकंदर लोदी
- इब्राहिम लोदी
लोदी वंश के शासनकाल के दौरान ही 20 मई 1498 को यूरोपीय यात्री वास्कोडिगामा दक्षिणी भाग में स्थित मालाबार के कालीकट समुद्री तट पर पहुँचा था। इस प्रकार भारत और यूरोप के मध्य समुद्री मार्ग खोज हुयी। यूरोपीय व्यापारी भारत मसालों के व्यापार के सिलसिले में आये थे।
- घटना:- मुग़ल शासन
समयकाल- 1526 ई.(1526 AD)
भारत में मुग़ल शासन की शुरुआत 1526 ई में पानीपत के प्रथम युद्ध के साथ हुयी। पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ई में मुग़ल वंश के संस्थापक बाबर एवं लोदी वंश के शासक इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ। इस युद्ध में बाबर विजयी हुआ एवं भारत में मुग़ल वंश की नीव पड़ी। मुग़ल वंश के प्रमुख शासकों का वर्णन इस प्रकार से है :-
- बाबर- बाबर मुग़ल वंश का संस्थापक था। इसके द्वारा 1526 ई में पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल वंश की नींव रखी गयी। बाबर द्वारा 1526 में पानीपत का प्रथम युद्ध, 1527 ई में खानवा, 1528 ई में चंदेरी एवं 1529 ई में घाघरा का युद्ध लड़ा गया। 1530 ई में आरामबाग में बाबर की मृत्यु हो गयी।
- हुमायूँ- बाबर के पश्चात मुग़ल वंश की गद्दी हुमायूँ ने संभाली। 1539 में चौसा के युद्ध में शेरशाह शूरी द्वारा हुमायूँ को पराजित किया गया था। इसके पश्चात पुनः 1540 में कन्नौज या बिलग्राम के युद्ध में शेरशाह शूरी के विरुद्ध हुमायूँ को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा। 1555 में सरहिंद के युद्ध में इसने पुनः अपनी गद्दी प्राप्त की।
- अकबर- मुग़ल वंश का सबसे योग्य एवं सहिष्णु शासक के रूप में प्रसिद्ध मात्र 14 वर्ष की अवस्था में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। अकबर का शासन 1556 से 1605 ई तक था। अकबर के द्वारा लड़े गए प्रंमुख युद्ध निम्न है :-
- पानीपत का दूसरा युद्ध (1556)- अकबर एवं हेमू के मध्य (परिणाम-अकबर विजयी)
- हल्दीघाटी का युद्ध (1576)- अकबर एवं महाराणा प्रताप के मध्य (परिणाम-अकबर विजयी)
- जहांगीर – अकबर के पश्चात जहांगीर ने दिल्ली की गद्दी संभाली। जहांगीर का शासनकाल 1605 से 1627 ई तक था। अपनी प्रेमकथा के कारण जहांगीर जगप्रसिद्ध है। जहांगीर की प्रेमिका का नाम नूरजहां था जो की ईरान के निवासी मिर्जा गयास बेग की पुत्री थी।
- शाहजहाँ- जहांगीर का उत्तराधिकारी शाहजहाँ वर्ष 1627 ई में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। शाहजहाँ के काल में भारत में स्थापत्य कला का अत्यधिक विकास हुआ। शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताजमहल की कब्रगाह पर विश्वप्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण किया गया था। इसके अतिरिक्त दिल्ली का लालकिला, दिल्ली की जामा मस्जिद एवं आगरा की मोती मस्जिद के अलावा लाहौर किला एवं शीशमहल का निर्माण भी करवाया गया।
औरंगजेब – उत्तराधिकार युद्ध में औरंगजेब द्वारा दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर लिया गया एवं इस युद्ध में दाराशिकोह को पराजय का सामना करना पड़ा। औरंगजेब को भारतीय इतिहास में जिन्दा पीर की संज्ञा दी जाती है।
