कृषि यांत्रिकी करण योजना विभिन्न सरकारी प्रमुखिताओं द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है जो कृषि सेक्टर में तकनीकी और तकनीकी उपायों का अधिक उपयोग करने का उद्देश्य रखती है। कृषि यांत्रिकी करण की योजना
इसका मुख्य लक्ष्य किसानों को और उनकी कृषि उत्पादन को मजबूत बनाना है, जिससे उनकी आय बढ़े और समृद्धि हो।

कृषि यांत्रिकीकरण योजनाएं निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित हो सकती है
- कृषि उपकरण और मशीनरी: यह शामिल हो सकता है जैसे कि ट्रैक्टर, बोन्साई हार्वेस्टर, बुआई मशीनें, स्प्रेयर्स, और अन्य कृषि उपकरण।
2. बीज और उर्वरक: यह योजना बीजों और उर्वरकों के तकनीकी प्रबंधन को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है।
3. बागवानी और फल-सब्जी उत्पादन: यहां तकनीकी उपाय शामिल हो सकते हैं जैसे कि ड्रिप आइरिगेशन, प्लास्टिक मल्चिंग, ग्रीनहाउस, और सुधारित बागवानी तकनीक।
4. किसानों को तकनीकी शिक्षा: किसानों को नई तकनीकों का परिचय कराने और उन्हें इसे ठीक से उपयोग करने के लिए तकनीकी शिक्षा देने का लक्ष्य हो सकता है।
5. डेटा और तकनीकी समर्थन: किसानों को डेटा साझा करने और तकनीकी समर्थन प्रदान करने के लिए अद्यतित तकनीक का उपयोग करने का प्रयास किया जा सकता है।
6. कृषि विपणि में तकनीकी उन्नति: उत्पादों को सहेजने, प्रसंस्करण करने, और बाजार में पहुंचाने के लिए तकनीकी उन्नति के लिए योजनाएं शामिल हो सकती हैं।
इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को समृद्धि, आत्मनिर्भरता, और तकनीकी उन्नति की दिशा में मदद करना है। ये योजनाएं कृषि सेक्टर को मजबूत बनाने और उसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं

कृषि सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए क्या क्या सुविधा से किसान को फायदा हो सकता है ?
- सुविधाएं और संबंधित सेवाएं: किसानों को सबसे नवीन सुविधाओं और सेवाओं का उपयोग करने के लिए तकनीकी समर्थन प्रदान करना एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। इसमें आधारित तकनीकी आधार सेवाएं, जैसे कि ई-आधार, बायोमेट्रिक सत्र, और ऑनलाइन खरीददारी, शामिल हो सकती हैं।
8. कृषि बीमा और तकनीकी निगरानी: तकनीकी निगरानी और बीमा के उपयोग से किसानों को अपने उत्पादों की सुरक्षा में मदद मिल सकती है। नई तकनीकों का उपयोग करके और समृद्धि की दृष्टि से, कृषि बीमा को और भी सुधारा जा सकता है।
- जल संरक्षण तकनीक: कृषि में जल का सही और सुरक्षित उपयोग किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तकनीकी उन्नति से जल संरक्षण के उपायों को समझाने और अपनाने में सहायक हो सकती है।
10. स्वायत्तता और समृद्धि: किसानों को स्वायत्तता में और समृद्धि में मदद करने के लिए तकनीकी योजनाएं शामिल हो सकती हैं। इसमें खुदरा समर्थन, डिजिटल खेती, और ऑनलाइन बाजार पहुंचने के लिए तकनीकी समर्थन शामिल हो सकता है।
कृषि यांत्रिकीकरण योजनाएं भारतीय किसानों को नए और उन्नत तकनीकी समाधानों का परिचय कराती हैं ताकि वे अपने क्षेत्र में और बेहतर तरीके से काम कर सकें और अधिक आय प्राप्त कर सकें। इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र एक साथ काम कर रहे हैं ताकि कृषि सेक्टर में तकनीकी बदलाव लाए जा सकें और किसानों को बेहतर और सुरक्षित उत्पादों का उत्पादन करने के लिए तैयार किया जा सके।
11. समृद्धि और विकास के लिए तकनीकी सहायता: तकनीकी सहायता के माध्यम से, किसानों को बेहतर खेती तकनीकों का परिचय हो सकता है जो उन्हें अधिक मौद्रिक बना सकते हैं और उनकी आय को बढ़ा सकते हैं। समृद्धि की दिशा में यह सहायता कर सकती है, जिससे किसानों की जीवनशैली में सुधार हो।
12. सही खेती तकनीक: विभिन्न क्षेत्रों में सही तकनीकों का उपयोग करने के माध्यम से, किसानों को अधिक उत्पादन और क्षेत्र की बनाए रखने के लिए मदद कर सकता है। सही तकनीक चयन करने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता मिल सकती है।
13. ग्रामीण बाजारों की तकनीकी सुधारणा: कृषि उत्पादों को सही दर पर बेचने के लिए, ग्रामीण बाजारों को तकनीकी सुधारणा की आवश्यकता है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स, ऑनलाइन बाजार सुविधाएं और तकनीकी उन्नति के माध्यम से, ग्रामीण बाजारों को सुधारित किया जा सकता है।
14. तकनीकी अनुसंधान और विकास: नई और उन्नत तकनीकों का अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं। इससे कृषि सेक्टर में नई समस्याओं का समाधान निकल सकता है और तकनीकी सुधारणाओं का अधिक समर्थन हो सकता है।
- तकनीकी योजनाएं किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार: तकनीकी योजनाएं किसानों की स्थिति और क्षेत्र की विशेषताओं के आधार पर तैयार की जा सकती हैं। यह योजनाएं किसानों को उनकी स्थिति के अनुसार विभिन्न तकनीकी सुधारणाओं का लाभ उठाने में मदद कर सकती हैं।
कृषि यांत्रिकीकरण योजनाएं भारतीय कृषि सेक्टर को सुधारित करने और उसे आधुनिक तकनीकों के साथ मिलकर समृद्धि की दिशा में बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं।

कृषि यांत्रिकी करण 2.2
16. ग्रामीण क्षेत्रों में बाल संरक्षण: तकनीकी उन्नति के माध्यम से, बाल संरक्षण में भी सुधार किया जा सकता है। उचित बीज और ऊर्वरक का उपयोग करने से और सही समय पर बोने गए बीजों से उत्पन्नता में वृद्धि हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन के अनुकूल समर्थन: तकनीकी समर्थन के माध्यम से, किसानों को जलवायु परिवर्तन के साथ निपटने के लिए सामरिक तकनीकी उपायों का प्रदान किया जा सकता है। यह सुनिश्चित कर सकता है कि किसान अपनी खेती को अनुकूलित करने के लिए तैयार होता है।
18. तकनीकी समर्थन के माध्यम से अधिक स्वास्थ्य सुरक्षा: किसानों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार करने के लिए, तकनीकी सहायता के अंतर्गत नए और उन्नत उपायों का अध्ययन किया जा सकता है। यह सुनिश्चित कर सकता है कि किसान अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल करता है और उसे बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका जानता है।
19. बागवानी और कृषि संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी: किसानों को बागवानी और खेती से संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए सुविधा प्रदान की जा सकती है। इससे किसान नई तकनीकों और उन्नतियों के बारे में अद्यतित रह सकता है और उन्हें अपनी खेती में लागू करने के लिए तैयारी मिलती है।
20. कृषि तकनीकी सहायता केंद्र: गाँवों में कृषि तकनीकी सहायता केंद्रों की स्थापना करके, किसानों को तकनीकी जानकारी और सहायता प्रदान की जा सकती है। ये केंद्र किसानों को नई तकनीकों का परिचय कराने, उन्हें तकनीकी समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकते हैं।
इन तकनीकी योजनाओं और सहायता के माध्यम से, भारतीय किसानों को उनकी खेती को और भी उन्नत और समृद्धिपूर्ण बनाने का संभावनाओं का समर्थन मिलता है।

कृषि यांत्रिकी करण 2.3
21.किसानों के लिए मोबाइल ऐप्लिकेशन्स: कृषि तकनीकी समर्थन को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल ऐप्लिकेशन्स विकसित किए जा रहे हैं, जिनसे किसान अपनी खेती को संभाल सकता है। ये ऐप्स कृषि सूचना, बाजार की जानकारी, मौसम की सूचना और तकनीकी उपायों को पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
22. कृषि तकनीकी सहायता के लिए वेब पोर्टल्स: ऑनलाइन वेब पोर्टल्स के माध्यम से, किसानों को तकनीकी सहायता और जानकारी प्रदान की जा सकती है। इन पोर्टल्स पर विभिन्न खेती संबंधित जानकारी, तकनीकी विशेषज्ञों का साथ, और तकनीकी समस्याओं का समाधान मिल सकता है।
23. जल संरक्षण और समृद्धि के लिए सोलर तकनीक: सोलर तकनीक का उपयोग कृषि सेक्टर में भी किया जा रहा है, जैसे कि सोलर पम्प्स, सोलर स्टोरेज, और सोलर इर्रिगेशन सिस्टम। इससे किसानों को ऊर्जा और पानी की समस्याओं का समाधान मिल सकता है।
24. डिजिटल पेमेंट सुविधाएं: कृषि विपणि में डिजिटल पेमेंट सुविधाएं उपलब्ध कराने से, किसानों को सुरक्षित और आसान तरीके से व्यापार करने में मदद मिलती है। यह उन्हें बाजार से सीधे और त्वरित पैसे प्राप्त करने का एक बेहतर तरीका प्रदान कर सकता है।
25. किसानों के लिए विशेष तकनीकी प्रशिक्षण: सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किसानों के लिए विशेष तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों से, किसानों को नई तकनीकों का सीधा प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
इन तकनीकी योजनाओं और सुविधाओं के माध्यम से, कृषि
सेक्टर में सुधार और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है, जिससे किसानों को और भी उन्नत और
आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिल रही है।
26. बायो-उपयोगी तकनीकियाँ: बायो-उपयोगी तकनीकियों का उपयोग खेती और वन्यजीवन संरक्षण के लिए किया जा रहा है। इसमें जैव उर्वरक, बायो-उपयोगी कीटनाशक, और जैविक खेती से संबंधित तकनीकें शामिल हो सकती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने का प्रयास कर रही हैं।
27. कृषि रोबोटिक्स और एआई: कृषि में रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग से, किसानों को काम को आसान और अधिक उत्पादक बनाने के लिए तकनीकी समर्थन प्रदान किया जा सकता है।
28. कृषि ड्रोन और सेंसिंग तकनीक: ड्रोन और सेंसिंग तकनीक का उपयोग खेती में विभिन्न कार्यों के लिए किया जा रहा है, जैसे कि खेतों की मॉनिटरिंग, जल स्रोत का प्रबंधन, और फसलों की स्वास्थ्य की जांच।
29. विद्युतीय वाहनों का उपयोग: बिजली संयंत्रों से उत्पन्न विद्युतीय वाहनों का किसानों द्वारा खेती में प्रयोग किया जा रहा है। इससे खेती में उपयोग होने वाली मशीनरी को चलाने के लिए उपयोगी ऊर्जा मिल सकती है।
30. सुरक्षित खेती तकनीक: सुरक्षित खेती तकनीक का उपयोग करके, किसान और उनकी खेती को किसी भी सुरक्षा संबंधित खतरों से बचाने में मदद कर सकते हैं। इसमें डिजिटल सुरक्षा कैमरे, बायोमेट्रिक तकनीक, और गरीबी की स्थिति में सहायता प्रदान करने के लिए तकनीक शामिल हो सकती है।
इन तकनीकी उपायों और योजनाओं से, भारतीय किसानों को नए और सुरक्षित तरीकों से खेती करने का अवसर मिलता है, जो उन्हें समृद्धि और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

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31. जल संरक्षण तकनीकियाँ: जल संसाधनों को सही तरीके से प्रबंधित करने के लिए तकनीकी समर्थन का उपयोग किया जा रहा है। इसमें बुआई और पौधपालन के लिए स्मार्ट इर्रिगेशन सिस्टम, जल संबंधित डेटा सेंसिंग, और जल संवर्धन की तकनीकियाँ शामिल हो सकती हैं।
32. बिजली उत्पादन में तकनीकी सुधारणा: किसानों को बिजली उत्पादन में सहायक तकनीकियों का उपयोग करके, उन्हें ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसमें सोलर पैनल्स, बायोगैस उत्पादन, और विद्युतीय खेती सम्बन्धित तकनीक शामिल हो सकती हैं।
33. सांविदानिक खेती की तकनीकियाँ: नई और सांविदानिक तकनीकों का प्रयोग करके, किसानों को और भी प्राकृतिक तरीके से खेती करने का मौका मिलता है। इसमें सांविदानिक खेती, प्राकृतिक खेती उत्पादों की प्रबंधन, और प्राकृतिक खाद्य उत्पादों की पैकेजिंग सम्बंधित तकनीक शामिल हो सकती हैं।
34. वन्यजीव संरक्षण तकनीक: वन्यजीव संरक्षण के लिए तकनीकी समर्थन से, किसान और वन्यजीव सभी का सही से संबंधित संरक्षण कर सकते हैं। इसमें वन्यजीवों की गिनती, जंगलों की सतर्कता के लिए सेंसिंग तकनीक, और वन्यजीव संरक्षण के लिए सांविदानिक मॉनिटरिंग शामिल हो सकती हैं।
35. बिजली संग्रहण तकनीक: ऊर्जा संग्रहण के लिए तकनीकी सुधारणा से, जो किसानों को बिजली सुरक्षित रूप से संग्रहित करने की तकनीकियों से जोड़ सकता है। इससे विभिन्न स्थानों पर ऊर्जा का सही तरीके से प्रयोग किया जा सकता है और बिजली की बचत की जा सकती है।
इन तकनीकी समाधानों और योजनाओं के साथ, कृषि सेक्टर को सुधारित करने के लिए एक सूची उन्नत और सामर्थ्यवर्धन की ओर बढ़ते हुए देखा जा रहा है।
36. जैव विविधता संरक्षण तकनीकियाँ: जैव विविधता के संरक्षण के लिए तकनीकी उपायों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जा रहा है। इसमें जैव उर्वरकों का उपयोग, जैविक खेती की बढ़ती प्रवृत्ति, और बागवानी में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग शामिल हो सकता है।
37. कृषि संबंधित तकनीकी शिक्षा: कृषि संबंधित तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर तकनीकी शिक्षा के केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इससे किसानों को नई तकनीकों का सीधा परिचय होगा और उन्हें उसे सही तरीके से लागू करने का कौशल मिलेगा।
38. कृषि संबंधित तकनीकी क्षमता निर्माण: युवा किसानों को कृषि संबंधित तकनीकी क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जा रहा है। इससे नए और उन्नत तकनीकों का सीधा उपयोग करने में किसानों को आत्मविश्वास और समर्थन मिलता है।
39. कृषि बाजार संबंधित तकनीकी सुधारणा: कृषि बाजारों को तकनीकी रूप से सुधारित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, इलेक्ट्रॉनिक बाजार सुविधाएं, और तकनीकी विपणि सुधारणा के उपायों का अधिक प्रयोग हो रहा है।
40. बुनियादी तकनीकी ढांचा सुधारणा: बुनियादी तकनीकी ढांचा सुधारणा के माध्यम से, किसानों को मौसम जानकारी, बाजार समाचार, और सरकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इससे उन्हें अपनी कृषि निर्माण को सुधारने के लिए आवश्यक जानकारी मिलती है।
41.कृषि विज्ञान में तकनीकी अनुसंधान: तकनीकी अनुसंधान के माध्यम से, नई और उन्नत तकनीकों की खोज और विकास की जा रही है, जो कृषि सेक्टर को आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं।