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संत रविदास जयंती पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं दीं

संत रविदास जयंती पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं दीं

संत रविदास जयंती पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की शुभकामनाएं

संत रविदास जयंती भारतीय समाज में एक विशेष महत्व रखती है। यह दिन संत रविदास की शिक्षाओं और उनके योगदान को याद करने का अवसर है। संत रविदास का जीवन संघर्ष, समर्पण और समाज में समानता के संदेश से भरा हुआ था। उनके उपदेशों ने समाज के वंचित और दलित वर्ग को प्रोत्साहित किया और उन्हें आत्मविश्वास और सम्मान का अहसास कराया। संत रविदास की जयंती पर, महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं दीं, जो समाज में समानता, भाईचारे और प्रेम का संदेश फैलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अपनी शुभकामनाओं में कहा कि संत रविदास ने हमेशा मानवता और धार्मिक एकता की बात की। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज में सामूहिक सौहार्द, भाईचारे और सद्भाव का निर्माण करती हैं। राष्ट्रपति महोदया ने यह भी बताया कि संत रविदास का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी इंसान का असली मूल्य उसकी जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति से नहीं, बल्कि उसकी अच्छाई, कर्म और चरित्र से होता है। संत रविदास ने समाज में जातिवाद और भेदभाव की दीवारों को तोड़ने के लिए सदैव संघर्ष किया और उन्हें जीवन में अमल में लाने का प्रयास किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह भी कहा कि संत रविदास ने हमेशा समानता की बात की, और उनके अनुसार, सभी इंसान एक समान हैं, चाहे उनकी जन्मभूमि, जाति, या धर्म जो भी हो। उनके उपदेशों से प्रेरित होकर, समाज में अंधविश्वास और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए एक सशक्त आंदोलन खड़ा हुआ। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि हम सभी को संत रविदास की शिक्षाओं का अनुसरण करना चाहिए और अपने समाज में समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए।

संत रविदास का योगदान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि समाज सुधारक के रूप में भी उन्होंने समाज के सुधार में अहम भूमिका निभाई। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा धर्म वही है जो मानवता, समानता और न्याय की ओर प्रेरित करता है। संत रविदास ने यह भी संदेश दिया कि ईश्वर के दरबार में सभी लोग समान हैं, और किसी भी तरह के भेदभाव से बचने की आवश्यकता है।

संत रविदास जयंती पर, देशभर में लाखों लोग उनकी उपदेशों को अपनाकर एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को एकजुट होकर समाज में अमन और शांति स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर देशवासियों से यह भी अपील की कि हम संत रविदास के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संकल्प लें।

आज के समय में, जब समाज में कई तरह के भेदभाव और असमानताएँ बनी हुई हैं, संत रविदास की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें किसी भी तरह के भेदभाव से ऊपर उठकर सबके साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए। उनकी शिक्षाएं हमें यह समझने में मदद करती हैं कि हर इंसान का मूल्य उसके कर्मों और अच्छाई से होता है, न कि उसकी जाति या सामाजिक स्थिति से।

निष्कर्ष
संत रविदास जयंती एक ऐसा अवसर है जब हम उनके योगदान और उपदेशों को याद करते हुए समाज में प्रेम, भाईचारा और समानता का संदेश फैलाने का संकल्प लें। महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की शुभकामनाओं के साथ यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने समाज को समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ाएं। संत रविदास का जीवन एक प्रेरणा है, और उनकी शिक्षाएँ हमें आज भी मार्गदर्शन देती हैं।

संत रविदास जयंती की शुभकामनाएं 1

संत रविदास का जीवन और उनके आदर्श

संत रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास हुआ था। वे एक महान संत, कवि, समाज सुधारक और भक्तिकाल के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, छुआछूत और भेदभाव का विरोध किया और लोगों को समानता, प्रेम और मानवता का संदेश दिया। उनके भक्ति गीत और दोहे आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और समाज में एकता और समरसता बनाए रखने का संदेश देते हैं।

राष्ट्रपति का संदेश और प्रमुख विचार

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अपने संदेश में कहा कि संत रविदास की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी वे उनके समय में थीं। उन्होंने कहा कि संत रविदास ने समाज में भाईचारा, समानता और आध्यात्मिकता का संदेश दिया। उनका सपना एक ऐसे समाज का निर्माण करना था जहां किसी के साथ भेदभाव न हो और सभी को समान अधिकार मिले।

उन्होंने यह भी कहा कि संत रविदास का संदेश हम सभी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए एक समतामूलक समाज की स्थापना करनी चाहिए।

देश के लिए संत रविदास की शिक्षाओं का महत्व

Guru Ravidas Jayanti

संत रविदास का संदेश केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार से भी जुड़ा हुआ था। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत का विरोध किया और कहा कि ईश्वर की भक्ति और सच्चाई के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा धर्म है। उनके विचार ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ आज भी समाज में गूंजते हैं और बताते हैं कि सच्ची पवित्रता मन की होती है, न कि बाहरी आडंबरों की।

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि संत रविदास का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमें आपसी भाईचारा बनाए रखना चाहिए और समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।

युवाओं के लिए प्रेरणा

राष्ट्रपति महोदया ने विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया कि वे संत रविदास के विचारों को अपने जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति ही देश का भविष्य है और उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संत रविदास के आदर्शों का अनुसरण करना चाहिए।

संत रविदास जयंती का महत्व

संत रविदास जयंती हर वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भक्त और अनुयायी संत रविदास की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। वाराणसी सहित कई स्थानों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उनकी शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है।

निष्कर्ष

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा संत रविदास जयंती पर दिया गया संदेश देशवासियों के लिए प्रेरणादायक है। उनका यह संदेश न केवल संत रविदास की शिक्षाओं की याद दिलाता है, बल्कि हमें एकता, समानता और भाईचारे के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा देता है। संत रविदास के विचारों को आत्मसात करके ही हम एक बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

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